जीवनोपयोगी जड़ी - बूटियाँ
हम ' जड़ी - बूटियों ' के द्वारा चिकित्सा करने के बारे में बताने से पहले यह बता देना आवश्यक समझत हैं कि शरीर में रोगों की उत्पत्ति क्यों होती है? अच्छे खान - पान के बाद भी हमारा शरीर अस्वस्थ क्यों रहता है? प्रायः वात, पित्त और कफ आदि के दूषित हो जाने से ही शरीर में किसी - न - किसी रोग की उत्पत्ति हो जाती है और रोग की यह उत्पत्ति ही शरीर के स्वास्थ्य को चौपट कर डालती है । आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथों में भी इन दोषों को ही रोगों की उत्पति का सबसे बड़ कारण बताया है । 'त्रिदोष ' शरीर को दूषित करने वाले, हानि पहुंचाने वाले होते हैं। ये त्रिदोष यानी तीनों दोष हृदय और नाभि के बीच में और ऊपर व्याप्त होकर अवस्था , दिन, रात और भोजन के अंत , मध्य और आदि में , क्रम से गमन करते हैं। चूंकि ये धातु और मल को दूषित करते हैं, इस कारण इनको ' दोष ' कहा गया है। शरीर के इन रोगों को दूर करणे के लिए नैसर्गिक जड़ी - बूरयाँ अत्यंत उपयोगी हो सकती है । ...